• मुख पृष्ठ
  • परोपकारिणी सभा
    • परिचय
    • कार्य
    • पुस्तकालय
    • प्रकाशन
    • संग्रहालय
    • वर्तमान कार्यकारिणी
  • गैलरी
    • आगामी कार्यक्रम
    • वीडियो
    • ऑडियो
    • चित्र
  • दयानन्द सरस्वती
    • परिचय
    • किताबें
    • वास्तविक चित्र परिचय
    • जीवन चरित्र
    • आर्टिकल्स
  • आर्य समाज
    • स्थापना
    • नियम
    • कैसे जुड़े
    • अन्य वेबसाइट
  • परोपकारी पत्रिका
    • पत्रिका
    • विशेष लेख
    • अपने लेख भेजें
    • सदस्य बनें
    • शंका समाधान
    • सुझाव
  • दान
  • Cart | 0

हमें सहयोग करने के लिए अपना विवरण भरें

 


आवश्यक दिशा निर्देश :-  (1) अगर आप चेक भेज रहे हैं तो कृपया "परोपकारिणी सभा अजमेर" (PAROPKARINI SABHA AJMER) के नाम भेजें।   (2) 500 रु. से अधिक दान की रसीद ही डाक से भेजी जाती है। अगर आप अपना Whatsapp नंबर दें तो रसीद की फोटो प्रति आप तक भेजी जा सकेगी।   (3) धनराशि भेजने के साथ यह जानकारी सभा कार्यालय में (फोन या डाक द्वारा) अवश्य दे दें कि यह दान "किस कार्य के लिए" दिया गया है।   (4). इस संस्था के सभी कार्य दान पर ही निर्भर हैं, अतः आपका दान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आप धनराशि चेक, ड्राफ्ट या ऑनलाइन भी भेज सकते हैं - खाताधारक- परोपकारिणी सभा, अजमेर
(1)  बैंक (बचत खाता)- 091104000057530 IDBI Bank, पावर हाउस के सामने, जयपुर रोड, अजमेर IFSC-IBKL0000091   (2)   बैंक (बचत खाता)- 10158172715, भारतीय स्टेट बैंक, डिग्गी बाजार, अजमेर, IFSC-SBIN0007959
धनराशि भेजने के बाद पत्र या फोन से सूचना अवश्य दे दें:- पता- परोपकारिणी सभा, दयानन्द आश्रम, केसरगंज, अजमेर- 305001 (रविवार अवकाश) Ph. 0145 - 2460164
महत्त्वपूर्ण सूचना :-
वैदिक पुस्तकालय से पुस्तक खरीदने के लिए अलग बैंक खाता है :-
खाताधारक का नाम- वैदिक पुस्तकालय, अजमेर।, बैंक- पंजाब नेशनल बैंक, कचहरी रोड, अजमेर। बचत खाता (Saving) संख्या- 0008000100067176 IFSC Code- PUNB0000800

अपना विवरण भरें

 

 

आर्य समाज के नियम




दस नियम

१. सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्वर है।

 

२. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।


३. वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना – सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।


४. सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।


५. सब काम धर्मानुसार, अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहियें।


६. संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना।


७. सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार, यथायोग्य वर्तना चाहिये।


८. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिये।

 

९. प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिये, किन्तु सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिये।

 

१०. सब मनुष्यों को सामाजिक, सर्वहितकारी, नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिये और प्रत्येक हितकारी नियम पालने में स्वतन्त्र रहें।

 

© Paropakarni 2018-2019

पता - परोपकारिणी सभा, दयानन्द आश्रम, केसरगंज, अजमेर, राजस्थान - 305001 | e-mail - psabhaa@gmail.com |

दूरभाष - 0145 - 2460164 (सभा कार्यालय) | 0145 - 2460120 (वैदिक पुस्तकालय) | 0145 - 2621270 (ऋषि उद्यान)