चित्र संख्या १
कुरान में परिवर्तन-१
आज १३ सौ वर्ष से हमारे मुसलमान भाई कहते चले आते हैं कि हमारे कुरान शरीफ में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ, इस हेतु यह ईश्वरीय पुस्तक है। परन्तु हमें अपने कई वर्षों की अति निरीक्षण के पश्चात् इस बात का पूरा-पूरा पता लग गया है। कुरान शरीफ की अक्षर संख्या के सम्बन्ध में इस्लामी साहित्य के बड़े-बड़े विख्यात पंडितों के लेखानुसार आप सज्जनों की भेंट करते हैं अवलोकन कीजिए।
नाम पुस्तक किसके मत में कुरान की अक्षर संख्या कितनी थी
उम्दतुल बयान का चित्र
कुरान में आये हुये प्रत्येक अक्षर की संख्या
अलिफ बे ते से
४८८७६ ११४२८ १०१९९ १२७६
जीम हे खे दाल
३२७३ ३७९३ २४१६ ५६०२
ज़ाल रे ज़े सीन
४६७७ ११७९३ १५९० ५८९१
शीन स्वाद ज्वाद तोय
२२५३ २०१२ १६०७ १२७७
ज़ोय ऐन गैन फे
८४२ ९२२० २२०८ ८४९९
काफ काफ लाम मीम
६८१३ ९५०० ३०४३२ २६५६०
नून वाव हे हम्ज़ा
४५१९० २५५३६ १९०७० ४७२०
ये ४५९१९
यह तो रही कुरान शरीफ की अक्षर संख्या। अब उसकी शब्द संख्या को भी देख लीजिये कि जिससे फिर आप को कुरान के परिवर्तन में किसी प्रकार का संदेह शेष न रहे।
क्र.सं. नाम पुस्तक किसके मत में शब्द संख्या
१. उम्दतुल ब्यान हमीद आरज ७६२५०
२. उम्दतुल ब्यान अब्दुल अजीजि़ब्ने अब्दुल्लाह ७०४३९
३. सिराजुल कारी हमीद आरज ७६४३०
४. सिराजुल कारी मुजाहिद ७६२५०
५. सिराजुल कारी अब्दुल अजीजि़ब्ने अब्दुल्लाह ७०४३९
६. कसीदतुल्किराअत पुस्तक कर्ता ८६४३०
७. दुआये मुतबर्रक: पुस्तक कर्ता ७६०००
८. सिराजुल कारी पुस्तक कर्ता ७६४२०
९. सुयूती का अनुवादक मुहम्मद हलोम अनसारी ७७९३३
१०. मुहम्मद हलीम की टिप्पणी कई एक के विचार में ७७४३७
११. मुहम्मद हलीम की टिप्पणी कई एक के विचार में ७७२७७
१२. रमूजुल कुर्आन मुहम्मद हस्नअली ७६४२
इससे विदित होता है कि कुरान शरीफ में अवश्य बहुत कुछ परिवर्तन हो चुका है।
नोट- १. कुरान के अरबी में ५५ नाम। २. कुरान में अरबी के सिवाय ७४ भाषा। ३. सम्पूर्ण कुरान २० या २२, अथवा २५ वर्ष में तैय्यार हुआ। ४. कुरान १४ स्थानों में बना। ५. यह है लेखक का 'अति सुन्दर' 'सभ्यतायुक्त 'उपयोगी' तथा सराहनीय पुरुषार्थ जिसका प्रचार आप वैदिक धर्मावलम्बी सज्जन पुरुषों का परम कर्त्तव्य है। -पं. सत्यदेव
कुरान में परिवर्तन-२
चित्र संख्या २
इसके पूर्व मैंने 'कुरान में परिवर्तन नं. १ वाले चित्र में इस बात को भली भांति सिद्ध कर दिया है कि कुरान शरीफी की अक्षर तथा शब्द संख्या में बहुत कुछ परिवर्तन हो चुका है अब इस दूसरे नम्बर में कुरान शरीफ की आयतों तथा सूरतों की संख्या का वर्णन किया जाता है।
१. सिराजुल्कारी, उम्दतुल्बयान फी तफ्सीरिल कुरान-तफसीरे इत्तकान-कसीदतुल्किराअत-रमूजुल कुरान और दुआय मुतबर्रक: में इमाम अबुहनीफ: जैदिब्ने साबित अन्सार और मुल्ला मुहम्मद हसनअली इत्यादि के मतानुसार कुरान में ११४ सूरतें थीं।
२. मुल्ला जलालुद्दीन सुयूती अपनी तफ्सीरे इत्तेकान फी उसूमिल् कुरान में लिखते हैं कि मुसहफे (कुरान) इब्ने मसऊद में ११२ सूरतें थीं।
३. और उबैयिब्ने काब के कुरान में ११६ सूरतें थीं।
४. और उबैयिब्ने अब्बास के कुरान में ११६ सूरतें थीं।
५. और जलालुद्दीन के एक लेख से यह भी सिद्ध होता है कि किसी समय हज़रत उस्मान के कुरान में १११ सूरतें थीं।
६. और उमिय्यतिब्ने अब्दुल्लाह के समय खुरासान देश में एक ऐसा कुरान भी पाया जाता था कि जिसमें ११६ सूरतें थीं।
७. सिराजुल्कारी में मुजाहिद के विचारानुसार कुरान में ११३ सूरतें थीं।
८. और कई एक के विचारानुसार उबैयिब्ने काब के कुरान में ११५ सूरतें थीं।
और वर्तमान कुरान में ११४ सूरतें हैं जिनके नाम हम क्रम से नीचे लिखते हैं।
१. फातिहा २. बकरा ३. इमरान ४. निसाअ ५. माइदा ६. अन्आम ७. आराफ ८. अन्फाल ९. तोबा १०. यूनुस ११. हूद १२. यूसुफ १३. रअद १४. इबराहीम १५. हिज्र १६. नह्ल १७. बनी इसराईल १८. कहफ १९. मरयम २०. तौ-हा २१. अम्बिया २२. हज्ज २३. मोमिनून २४. नूर २५. फुरकान २६. शुअरा २७. नम्ल २८. कसस् २९. अन्कबूत ३०. रुम ३१. लुकमान ३२. सजदा ३३. अहज़ाब ३४. सबा ३५. मलायक: कातिर ३६. यासीन ३७. साफ्फात ३८. सॉद ३९. जुमर ४०. मोमिन ४१. सजदा ४२. शूरा ४३. जुखरुफ ४४. दुखान ४५. जासिया ४६. अहकाफ ४७. मुहम्मद ४८. फत्ह ४९. हुजुरात ५०. काफ ५१. ज़ारियात ५२. तूर ५३. नज्म ५४. कमर ५५. रहमान ५६. वाकिआ ५७. हदीद ५८. मुजादला ५९. हश्र ६०. मुम्तहना ६१. सफ्फ ६२. जुमआ ६३. मुनाफिकून ६४. तगाबुन ६५. तलाक ६६. तहरीम ६७. मुल्क ६८. कलम ६९. हाक्का ७०. मआरिज ७१. नूह ७२. जिन्न ७३. मुज़्ज़म्मिल ७४. मुद्दस्सिर ७५. कियामा ७६. दह्र ७७. मुरसलात ७८. नबा ७९. नाजि़आत ८०. अबस ८१. तक्वीर ८२. इनफितार ८३. ततफीफ ८४. इन्शिकाक ८५. बुरुज ८६. तारिक ८७. आला ८८. गाशिया ८९. फज्र ९०. बलद ९१. शम्स ९२. लैल ९३. जुहा ९४. इनशिराह ९५. तीन ९६. अलक ९७. कद्र ९८. बय्यिना ९९. जि़लज़ाल १००. आदियात १०१. करिआ १०२. तकासुर १०३. अस्र १०४. हुमज़ा १०५. फल १०६. कुरैश १०७. माऊन १०८. कौसर १०९.काफिरून ११०. नस्र १११. लह्ब ११२. इखलास ११३. फलक ११४. नास
यहाँ तक सूरतों की संख्याओं का मतभेद समाप्त हुआ अब इसके आगे कुरान शरीफ की आयतों की संख्या का वर्णन किया जाता है।
१- दुआय मुतबर्रक: कसीदतुल्किराअत उम्दतुल् बयान फी तफ्सीरिल कुरान-सिराजुलकारी तथा रमूजुल कुरान में लिखा है कि सम्पूर्ण कुरान की...... ६६६६ आयतें हैं।
२- और तफ्सीरे इत्तेकान फी उलूमिल् कुरान इत्यादि में लिखा है कि...... ६२१४ आयतें हैं।
३- और मदनियों के समीप ६२१४ आयतें हैं।
४- और मक्कियों के समीप ६२१२ आयतें हैं।
५- और शामियों के समीप ६२५० आयतें हैं।
६- और बस्रियों के समीप ६२१६ आयतें हैं।
७- और इराकियों के समीप ६२१४ आयतें हैं।
८- और कूफियों के समीप ६२३६ आयतें हैं।
९- और अब्दुलाहिब्ने मसऊद के समीप ६२१८ आयतें हैं।
१०- और सुय्तो के कथनानुसार इब्ने अब्बास के समीप ६६१६ आयतें हैं।
११- और अद्दानी के समीप ६००० आयतें हैं।
१२- और कई एक के विचानुसार ६२०४ आयतें हैं।
१३- और कई एक के विचानुसार ६२१४ आयतें हैं।
१४- और कई एक के विचानुसार ६२१९ आयतें हैं।
१५- और कई एक के विचानुसार ६२२५ आयतें हैं।
१६- और कई एक के विचानुसार ६२३६ आयतें हैं।
पाठक वृन्द! यह है कुरान शरीफ की आयतों तथा सूरतों की संख्या जिसकी मैंने इस्लामी साहित्य के मर्मज्ञ पंडितों के लेखानुसार संग्रह करके आप सज्जनों की सेवा में उपस्थित कर दिया अब आपका कत्र्तव्य है कि इनका विचार कर स्वयं लाभ उठावें और दूसरों के हाथों तक पहुँचाने का यत्न करें। ताकि हमारा परिश्रम सफल हो।
नोट- १. एक सूरत मक्के तथा मदीन: में उतरी। २. १४ मदीना में उतरी। ३. ८२ मक्के में उतरी। ४. १७ अन्यतर भिन्न २ स्थानों में।
कुरान शरीफ में ७४ भाषा
चित्र संख्या ३
हमारे मुसलमान भाइयों का यह पक्ष है कि कुरआन शरीफ केवल अरबी भाषा का पुस्तक है, जिसके प्रमाण में वे कुरआन पारा १२ सूरते यूसुफ आयत २ ''इन्न अञ्जल नाहो कुरआनन् अरबीय्यल्लअल्लकुम् ताकेलून" को पेश करते हैं जिसका अर्थ यह है कि ''निश्चय उतारा हम (ईश्वर) ने कुरान को अरबी भाषा में ताकि तुम (अरब वाले) समझो" और इसके विपरीत मुहम्मद साहिब के बड़े-बड़े इक्कीस गण मिस्ल उबैयिब्नेकाब, अन्स, हुजैफा, जैद, समरा सल्मान इब्ने, अब्बास, इब्ने मसऊद, अब्दुर्रहमान, उस्मान, उम्र, उम्रिब्नेअबी सल्लमा उमिब्निलआस, मुआज, हिश्शाम, अबीबक्र, अबीजहुम, अबी सईद खुदरी, अबीतुल्हा, अबी हुरैरह और अबी अय्युब का यह कहना है कि 'नज़लल् कुर्आनो अला सबअते अहरुफिन्' अर्थात् (हदीस में आया है कि) उतारा कुरान को सात अक्षरों में और सात अक्षरों के सम्बन्ध में इब्ने अब्बास, अबीसाल्हे, अवूउबैद, सालब, जुहरी, इब्ने अतय्या और बैहकी का यह मत है इन सात अक्षरों से कुरैशी, यमनी, जरहमी, हवाज़नी, कुज़ाई, तमीमी और तै सात भाषाओं का ग्रहण है अर्थात् कुरान इन सात भाषाओं में उतरा और अल्लाम: जलालुद्दीन सूयूती अपनी पुस्तक तफसीरे इत्ते$कान फी उलूमिल् कुर्आन में अबूबकिब्ने अनसारी, इब्ने अबी बक्र अनबारी, सईदिदिब्ने मन्सूर, अवूबक्र वास्ती, मुल्ला जलालुद्दीन, सआलबी, इब्ने जौजी जरकशी अबूनुईम, अबू हातिम, किरमानी, काजी ताजुद्दीन इत्यादि की साक्षी से लिखते हैं कि कुरान में ७४ भाषाओं के शब्द पाये जाते हैं जिनके नाम हम क्रम से निम्नलिखित चित्र में उद्धृत करते हैं।
कुरैशी, किनानी, हुजैली, खश्अमी, खजरजी, अश्अरी, नमीरी, कैसेगीलानी, जरहमी, यमनी, अज्विशनोई, कन्दी, तमीमी, हमीरी, मद्यनी, लहमी, सादुल्अशीरी, हजरमूती, सुदूसी अमालकी, अनमारी, गस्सानी मजहजी, खुजाई, गतफानी, सबाई, अम्मानी, बनूहनीफया, सालबी, तई, आमरिब्ने, साअसी औसी, मजीनी, सकीफी, जुजामी, बलाई, अज्रही, हवजानी, अनमरी, यमामी, सलीमो, अभ्मारी, अश्रएनी, नसरिब्ने मुआवीय्यी, अकी, हुज्जाजी, नबई, ईसी, कुजाई, काबिब्नेउम्रो, काबिब्नेलवी, तहारीय्यी, रबीय्यी, जब्बती, तैमी, रबाबी, असदिब्नेखुजैमी, सादिब्नेबक्री, हिन्दी, जंगी, अजमी, तुर्की, निब्ती, सुर्यानी, इबरानी, अजजी, जसमिब्नेबक्री, संस्कृत, हब्शी, फारसी, रूमी, बरबरी, किब्ती, यूनानी
अब यहाँ पर तीन बातें विचारणीय हैं- प्रथम यह कि कुरान केवल अरबी भाषा का पुस्तक है, द्वितीय यह कि कुरान सात भाषाओं में उतरा, तृतीय यह कि कुरान में ७४ भाषाएँ हैं। अब यदि कुरान का पक्ष ठीक मानें तो दूसरे दोनों पक्ष असत्य ठहरते हैं और यदि सात भाषाओं वाला ठीक मानें तो कुरान व हदीस दोनों के विरुद्ध पड़ता है और यदि तीनों को ठीक कहें तो यह हो नहीं सकता। अतएव इसका निर्णय हम अपने मुसलमान भाइयों पर ही छोड़ देते हैं। वे जिसको चाहें सत्य मानें और जिसको चाहें असत्य मानें। हमारा काम तो केवल कुरान में अन्य भाषाओं के सिद्ध करने का था सो कर दिया, अब मानना न मानना यह पब्लिक का काम है।
यह है प्राचीन विद्वान् तथा निष्पक्ष सत्यवादियों की यथार्थ विवेचना शैली जिसका अनुकरण हम उपदेशकों का परम कर्त्तव्य है।
नोट- १. सम्पूर्ण कुरान में १७७१ मद्द हैं। २. सम्पूर्ण कुरान में ८८०४ पेश हैं। ३. सम्पूर्ण कुरान में ३९५८२ जेर हैं। ४. सम्पूर्ण कुरान में ५२३४३० जबर हैं। ५. देखें हमारी हिम्मतें कब हमें ऐसे-ऐसे उपदेशकों के दर्शन कराती हैं।
कुरान पथ प्रदर्शक
चित्र संख्या ४
इस चित्र में कुरान शरीफ के संग्रह का समय व उसके प्रत्येक भागों के नाम व उनकी भिन्न-भिन्न संख्याओं तथा वेद और कुरान के सम्पूर्ण भागों की यथार्थ समता वर्णन की गई हैं-
वेद में ऋषि-वेद में देवता
१. वेद का मण्डल। २. सूक्त। ३. अध्याय। ४. वर्ग। ५. अनुवाक्। ६. मंत्र। ७. अकार। ८. इकार। ९. उकार। १०. प्लुत। ११. दुत्त। १२. दशति। १३. पंचर्चं। १४. और कूफ:, मक्क:, वस्र:, शाम आदि देशों और स्थानों के नाम हैं।
यह कुरान अल्लाह मियां की ओर से २३ वर्ष में जिब्राईल द्वारा मुहम्मद साहिब तक पहुँचा।
अक्षर ३२०२६७० शब्द ८६४३० मंजिल ७
पारा ३० आशार कूफी ४२३ हिज्ब ६०
बस्री आयतें ६२१६ आशार बस्री ६२३ बिस्मिल्लाह ११३
शामी आयतें ६२५० विन्दु १०५६८४ अख्मास कूफी ६४७
मक्की आयतें ६२१२ तश्दीद १३५४ अख्मास बस्री १२४६
मद्द: १७७१ इराकी आयतें ६२१४ कूफी आयतें ६२३६
फतह ५२२४३ सामान्यों की आयतें ६६६६ रुकूअ ५४०
ज़म्म: ८८०४ सूरतें ११४ कसर: ३९५८२
कुरान में परिवर्तन -३
चित्र संख्या ५
हमारे मुसलमान भाई जहाँ पर कुरान शरीफ के ईश्वरीय पुस्तक होने में और बहुत से प्रमाण देते हैं वहाँ पर एक यह भी है कि इसमें किसी प्रकार का परस्पर विरोध नहीं। देखो कुरान पार: ५ सूरते निस, रुकू ८।
अफला यतदब्ब रू नल् कुर्आन वलौ कान मिन् इंदे गैरिल्लाहे लवजदू फीहे इंख्ते लाफन्न कसीरन्न अर्थात् कुरान कर्ता कहता है कि 'क्या तुम कुरान में विचार नहीं करते [कि यह ईश्वरीय पुस्तक है] यदि [यह उसके] अतिरिक्त किसी अन्य की ओर से होती तो निश्चय इसमें बहुत कुछ विरोध होता, यह कुरान कत्र्ता का एक अति उत्तम तथा न्याय युक्त पक्ष है, जिसको हम बड़े मान की दृष्टि से देखते हैं, परन्तु खेद से लिखना पड़ता है कि इस्लामी साहित्य इसके बिलकुल विपरीत व्यवस्था देता है देखो:-
१. तौजी हुल अहकाम ब हवाला फइजन् सलखल् अश्होरुल् होरोमो फक्तोंलुल् मुश्रेकीन है- सो वजत्तो मुहुम पार: १० सूरते तोब:रुकू ७। अर्थ- जब समाप्त हो रक्षा का मास तो सारी ....... को जहाँ कहीं पाओ उनको' इस पर इमाम जाहिद फरमाते हैं कि इस आयत के उतरने से कुरान की ७० आयतें मन्सूख हो गई हैं और बहवाला इत्तकान फी तफ्सीरिल कुरान लिखते हैं कि इस आयत के उतरने से कुरान की १२४ आयतें मन्सूख हो गई हैं कि जिनमें पहिलें मुशरिकों को न मारने की आज्ञा थी।
२. इत्तेकान फी तफ्सीरिल कुरान में लिखा है कि ऐसी-ऐसी १९, २० अथवा २१ आयतें निश्चय रूप से मन्सूख हो गई हैं।
३. नज्मेखुश वाले के कथनानुसार ६६ आयतें मन्सूख हैं।
४. ब हवाला तफ्सीर फीजुल कबीर कुरान की ५०० आयतें मन्सूख हैं और इन नासिख तथा मन्सूख आयतों की आप इन निम्नलिखित ११४ सूरतों में देख सकते हैं।
इन ४३ सूरतों में नासिख तथा मन्सूख दोनों प्रकार की आयतें नहीं।
१. फातिहा २. यूसुफ ३. यासीन ४. हुजुरात। ५. रहमान
६. हदीद ७. सफ्फ ८. जुमआ ९. तहरीम १०. मुल्क
११. हाक्का १२. नूह १३. जिन्न १४. मुर्सलात १५. नबा
१६. नाजि़यात १७. इनफितार १८. तकवीर १९. इन्शिकाक २०. बुरूज
२१. फज्र २२. बदल २३. शम्स २४. लैल २५. जुहा
२६. अलमनशर: २७. इका २८. कद्र २९. बिय्यन: ३०. जिलजाल
३१. आदियात ३२. कारेअ: ३३. इतकासुर ३४. हुमज ३५. फील
३६. कुरैश ३७. माऊन ३८. कौसर ३९. नस्र ४०. लहब्
४१. इखलास ४२. फलक ४३. नास
इन २५ सूरतों में नासिख तथा मन्सूख दोनों प्रकार की हैं।
१. बकरा २. इमरान ३. निसा ४. माइदा ५. अनफाल
६. तौबा ७. इब्राहीम ८. अम्बिया ९. फुर्कान १०. शुअरा
११. अहज़ाब १२. सबा १३. मोमिन १४. शूरा १५. जारियात
१६. तूर १७. वाकिआ १८. मुजादला १९. मुद्दस्सिर २०. कुव्वेरत्
२१. हज्ज २२. माऊन २३. मुज़्ज़म्मिल २४. अस्र २५. नूह
इन ४० में केवल मन्सुख हैं।
१. अनआम २. आराफ ३. यूनुस ४. हूद ५. रअद
६. हिज्र ७. नह्ल ८. अस्रा ९. कह्फ १०. ताहा
११. मोमिनून १२. नम्ल १३. कसस १४. अनकबूत १५. रूम
१६. लुकमान १७. सजदा १८. फातिर १९. साफ्फात २०. सॉद
२१. जुमर २२. हामिमअसजदा २३. जुखरुफ २४. दुखान २५. जासिया
२६. अहकाफ २७. मुहम्मद २८. नज्म २९. कमर ३०. काफ
३१. कलम ३२. मुमतहेन ३३. मआरिज ३४. कियामा ३५. दह्र
३६. अबस ३७. तारिक ३८. गाशिया ३९. तीन ४०. काफिरुन
इन ६ में केवल नासिख हैं।
१. फत: २. हश्र ३. मुनाफेकून ४. तगाबुन ५. तलाक ६. आला
और नस्ख धातु के चार अर्थ हैं जिससे नासिख तथा मन्सूख शब्द बने हैं मिटाना, बदलना, एक जगह से दूसरे जगह पहुँचाना, एक के स्थान में दूसरा लाना।
नोट:- १. इसका तात्पर्य यह है कि कुरान में कम से कम ५०० बातें ऐसी हैं कि जिनको कुरान कत्र्ता ने स्वयं परिवर्तित कर दिया है और यही ईश्वरीय ज्ञान के विपरीत है। क्योंकि ईश्वर एक रस है अत: उसका ज्ञान भी एक रस होना चाहिये।
२. कुरान ३२३०४५ फिरिश्तों के सहित उतरा। ३. कुरान में ७०,००० विद्याएँ।
४. कुरान में २५ नबियों की गाथाएँ हैं। ५. कुरान में १२ फिरिश्तों के नाम।
आईन: ए कुरान अर्थात् सम्पूर्ण कुरान की अक्षर संख्या
चित्र संख्या ६
नक्क़ार: धर्म का बजता है आये जिसका जी चाहे।
सदाकत वेदे-अकदस की आज़माये जिसका जी चाहे।।
१. अब्दुल्लाह बिन् मतऊद के कथनानुसार सर्व कुरान में ३२२६७१ अक्षर हैं तथा
२. मुजाहिद के विचारानुसार सर्व कुरान में ३२११२१ अक्षर हैं तथा:-
'अलिफ' अड़तालिस हजार आठ सौ छिहत्तर ४८८७६। 'बे' ग्यारह हजार चार सौ अट्ठाईस ११४२८। 'ते' दस हजार एक सौ निन्यानवे १०१९९। 'से' बारहसौ छिहत्तर १२७६। 'जीम' तीन हज़ार दो सौ छिहत्तर ३२७६। 'हे' तीन हजार सात सौ तिरानवे ३७९३। 'खे' दो हजार चार सौ सोलह २४१६। 'दाल' पाँच हजार छ: सौ दो ५६०२। 'ज़ाल' चार हजार छ: सौ सतहत्तर ४६७७। 'रे' ग्यारह हजार सात सौ तिरानबे ११७९३। 'जे' एक हजार पाँच सौ नब्बे १५९०। 'सीज' पाँच हजार आठ सौ इक्यानबे ५८९१। 'शीन' दो हजार दो सौ तिरपन २२५३। 'सॉद' दो हजार बारह २०१२। 'जॉद' पाँच हजार छ: सौ सात ५६०७। 'तोए' एक हजार दो सौ सतहत्तर १२७७। 'जोए' आठ सौ बयालीस ८४२। 'ऐन' नौ हजार दो सौ बीस ९२२०। 'गैन' दो हजार दो सौ आठ २२०८। 'फे' आठ हजार चार सौ निन्यानबे ८४९९। 'काफ' छ: हजार आठ सौ तेरह ६८१३। 'काफ' नौ हजार पाँच सौ ९५००। 'लाम' तीस हजार चार सौ बत्तीस ३०४३२। 'मीम' छब्बीस हजार पाँच सौ साठ २६५६०। 'नून' पतासिल हजार एक सौ नब्बे ४५१९०। 'वाओ' पच्चीस हजार पाँच सौ छत्तीस २५५३६। 'हे' उन्नीस हजार सत्तर १९०७०। 'हम्जा' चार हजार सात सौ बीस ४७२०। 'ये' चालीस हजार नौ सौ उन्नीस ४०९१९।
३. कसीदतुल् किरअ्त वाले के कथनानुसार ३२०२-१७० अक्षर हैं तथा
४. नज्मेखुश के अन्तिम भाग में ला अक्षर को छोड़कर शेष अक्षरों की ४५१९८३ संख्या है।
नोट- और हमारे इस उपरोक्त चित्र के अनुसार ३५२४५९ अक्षर हैं।
नोट- २-१ शब्द ८६४३। नोट- ३-२ आयतें ६६६६ नोट- ४-३ मात्राएँ ५६१८१६।
नोट- ५-४ बिन्दू १०५६८४।
चित्र संख्या ७
सत्यदेव ने बनारस छोडऩे के पहिले यह चित्र बाजारों में बिक्री किये थे उनके अन्दर भी नं. ७ का चित्र सभी पैकिटों से गायब था इसलिये वह नहीं मिल सका और इसके साथ नहीं प्रकाशित हो सका। -प्रकाशक
मुहम्मद महोदय का संक्षिप्त जीवन
चित्र संख्या ८
आप आदम के ६७५० वर्ष बाद ५१वीं या ९०वीं पीढ़ी में अरब के प्रतिष्ठित कुरैश वंशी अब्दुल्लाह पुजारी के घर १२वीं रबीउल अव्वल आमुल्फील सम्वत् के ५५वें दिन प्रात:काल मक्का नगर में मुहम्मदिब्ने यूसुफ की सराय जुक्काक गली में आमिना के गर्भ से उत्पन्न हुये थे। आपके पिता दो मास गर्भ रहने पर व माता ६ वर्ष के पश्चात् इस असार संसार से पधार गये। तदनन्तर २ वर्ष अपने दादा व ४ वर्ष २ मास १० दिवस अपने चचा अबुतालिब के पास रहकर १३वें वर्ष में आपने श्याम देश की पहिली यात्रा की। जिसके उपरान्त शीघ्र ही अबूवक्र व अबूतालिब की सि$फारिश से आपको खुदीजा के माल की एजेण्टी मिल गई। आप देखने में सुन्दर, सुशील, सरल स्वभाव, तीव्र बुद्धि, होनहार, नवयुवक, हाथ के सच्चे व व्यवहार के पक्के थे, इसलिये ४० वर्ष की खुदीजा ने २५ वर्ष की आयु में आपको अपना पति बनाया। जिससे इच्छानुसार धन मिला, छोटी-मोटी सभाओं के पंच बने, भले पुरुषों के सत्संग, देशाटनों के अनुभव तथा ईश्वर-भक्ति के अनुराग से एकान्त सेवन का शौक हुआ। मन की निर्मलता, वृत्तियों के निरोध ने नाना प्रकार के स्वप्न दिखाये, जिनको न समझकर यारों की सम्पत्ति से ४० वर्ष ९ मास की आयु में आपने पैगम्बरी का दावा किया। धीरे-धीरे मूर्तिपूजा का खंडन व ईश्वर-भक्ति का मण्डन आरम्भ किया। ज्यों-ज्यों आपका प्रचार बढ़ता गया त्यों-त्यों मक्का-वासियों का क्रोध अधिक होता गया। अन्त में ५२ वर्ष ९ मास की आयु में आप को मक्का छोड़ मदीना जाना पड़ा। (जिस तिथि से आपका सम्वत् आरम्भ हुआ है)। वहाँ पहुँचते ही आपके धार्मिक जीवन ने ऐसा पलटा खाया कि गोया आप कभी धार्मिक सुधारक थे ही नहीं। आपने इन अन्तिम १० वर्षों में २४ युद्ध स्वसेनापतित्व में किये तथा ५६ दूसरों से कराये और ११४००० स्त्री-पुरुषों के सन्मुख मक्का यात्रा में कुरान व अहले बैत की आज्ञा पालन का उपदेश देकर २ रबीउल अव्वल हिजरी सम्वत् ११ के प्रात:काल ६३ वर्ष की आयु में २७० मील मक्का के उत्तर मदीना नगर में आयश: के घर निम्नलिखित सम्बन्धी तथा पदार्थों के अधिपति होकर आपने प्राण त्यागे और वहीं पर आयश: के घर दफन किये गये।
आपके सम्बन्धी तथा स्वाधीन पदार्थों के नाम
आपकी पुत्रियाँ ४ थीं। पुत्र ४। बाँदियें ८। स्त्रियाँ १८। दाईयाँ २। भ्राता ५। बहिनें २। फूफियाँ ६। आपके चाचा १२ थे। लेखक ४०। दास ५८। सेविकाएँ १६। सेवक २७। द्वारपाल ८। वकील १५। बांगी ४। कविता करने वालियाँ १२। कवि १९६। सिंहासन १। लाठिएँ अनेक। पताके २। धनुष ६। भाले ४। ढ़ालें ३। विरीट ३। कवच ७। तलवारें १०। वस्त्र अनेक। पयस्विनि भेडें ७। पयस्विनि उष्ट्रियें २१। गर्दभ ३। अश्वतर खच्चर ६। विख्याताश्व २०। प्याले ७। सिगार डिब्बा १। उपधि तकिया १।
आपके मुख्यादेश
१. पञ्चकालार्चन २. मक्का यात्रा ३. चत्वारिशतांशदान (चालीसवां हिस्सा दान) ४. १ मास के व्रत ५. नबियों सहित ईश्वर का मानना ६. स्वर्ग में अप्सराओं तथा सेवकों की प्राप्ति ७. वार्षिकोपासना ईद की नमाज ८. पंक्तिबद्ध पूजा ९. सस्तोत्र शुक्रोपासना जुम्मा की नमाज १०. आह्लादपूर्वक समंत्रिकोपासना (नमाज पढऩा) ११. मक्काभिमुख-ईश्वरोपासना १२. चार-चार स्त्रियों तक विवाह करना १३. पुनरागमननिषेध १४. मद्यनिषेध १५. कुरान तथा शिष्टों की आज्ञा पालन १६. नास्तिक वध १७. नास्तिकों के धन पर स्वाधिकार १८. छल युद्ध १९. मूर्ति खंडन २०. सूकर-अभक्षण २१. मृतक-अभक्षण २२. प्रलय में ईश्वर का दर्शन २३. धर्माधर्म ईश्वर की ओर से मानना।
इन २३ आदेशों का मानने वाला मनुष्य मुसलमान कहलाता है।
(नोट) और मुहम्मद साहिबा का २१, २२ अथवा २३ वर्षों में कुरान लिखवाना और ३२१ अभिज्ञान (मुअजजे) मैराज की रात्रि में ईश्वर से बातें करना मक्का की मूर्तियों का खण्डन तथा फिरिश्तों के द्वारा चार बार आपका पेट चाक होकर साफ होना इत्यादि बातें भी इस्लामी साहित्य में उपलब्ध हैं।
२. मुहम्मद साहिब के कथनानुसार १२४००० नबी हो चुके हैं।
३. मुहम्मद साहिब के कथनानुसार १०४ पुस्तकें ईश्वरीय हैं।
४. मुहम्मद साहिब के कथनानुसार ईश्वरीय सृष्टि में १८००० योनियाँ हैं।
५. इस्लामी साहित्य में मुहम्मद साहिब की ६००००० उक्तियाँ हैं।