परोपकारिणी सभा का कार्यालय, केसरगंज स्थित दयानन्द आश्रम में है। सभा के समस्त आय-व्यय का लेखा-जोखा यहीं रखा जाता है। परोपकारी पत्रिका का सञ्चालन भी यहीं से होता है। सभा के कई प्रकल्प जैसे महर्षि दयानन्द सरस्वती पुस्तकालय, वैदिक पुस्तकालय (बिक्री विभाग) आदि भी यहीं से संचालित होते हैं।
जिस समय परोपकारिणी सभा का विधिवत पंजीकरण हुआ, उस समय सभा के प्रथम मंत्री तथा उपमंत्री उदयपुर निवासी थे, अतः १८९३ तक उदयपुर में ही परोपकारिणी सभा का कार्यालय पण्डित मोहनलाल विष्णुलाल पण्ड्या (मंत्री) के पास रहा। १९९३ के अधिवेशन में मुंशी हरविलास शारदा सभा के संयुक्त मंत्री नियत किये गए और निश्चय हुआ कि कार्यालय अजमेर लाया जाकर संयुक्त मंत्री के आधीन रहे। तब से सभा का कार्यालय अजमेर में ही है।
ऋषि ऋषि उद्यान में एक सुव्यवस्थित गौशाला है, जिससे प्राप्त दूध गुरुकुल के ब्रह्मचारियों, संन्यासियों, वानप्रस्थियों, एवं आगत सम्मानित अतिथियों को दिया जाता है। यह दूध सभी को निःशुल्क प्रदान किया जाता है। वर्तमान में ऋषि उद्यान की गौशाला में छोटी-बड़ी कुल ५५ - ६० गाएँ हैं। सभी गाय भारतीय नस्ल की, स्वस्थ, सुन्दर एवं हृष्ट-पुष्ट हैं। गौशाला में सुन्दर आवास, चारा गृह, पानी की टंकी एवं गायों के रहने के स्थान पर पंखे लगे हुए हैं। अजमेर के निकट ही पुष्कर में प्रतिवर्ष मेले का आयोजन होता है, जिसमें प्रशासन की ओर से पशु मेला भी आयोजित होता है। इस मेले में गायों की सुन्दरता एवं दूध के आधार पर प्रतियोगिता होती है, ऋषि उद्यान गौशाला की गाय एवं बछड़ियाँ इसमें सदैव प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। सभा का प्रयास है कि गौशाला में शुद्ध भारतीय देशी नस्ल का और अधिक संवर्धन किया जाए। इस समय गौशाला का खर्च लगभग एक लाख रुपये / महीना है। सभी गोभक्तों से अपील है कि गायों के संरक्षण एवं संवर्धन में मुक्तहस्त से परोपकारिणी सभा का सहयोग करें।
ऋषि उद्यान में प्रति वर्ष गर्मी की छुट्टियों में (मई अथवा जून) व दीपावली से पहले कुल दो साधना शिविर लगते हैं। इन शिविरों का उद्देश्य शिविरार्थियों को अध्यात्म की और प्रेरित करना, सुखमय एवं शान्त जीवन जीने के उपाय बताना, वैदिक सिद्धान्तों का ज्ञान कराना एवं ईश्वर के मार्ग की ओर अग्रसर करना है। इन शिविरों की समस्त दिनचर्या आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल राखी जाती है। प्रातः से सायं तक अलग-अलग विद्वानों द्वारा विभिन्न विषयों पर उपदेश किये जाते हैं। प्रातः ४:०० बजे से लेकर रात्रि ९:०० बजे तक की सुव्यवस्थित दिनचर्या में आसन, प्राणायाम, ध्यान, यज्ञ-प्रवचन, योग दर्शन, सांख्य दर्शन, ज्ञान-कर्म-उपासना, आत्मनिरीक्षण आदि विषयों पर आर्यजगत के श्रेष्ठ विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है। यह शिविर पूर्णतया आवासीय होता है। शिविर में निर्धारित दिनचर्या के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार की गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाती। शिविरार्थियों के आवास एवं भोजन आदि की सम्पूर्ण व्यवस्था परोपकारिणी सभा द्वारा की जाती है। यदि आप शिविर में आने इच्छुक हैं तो परोपकारणी सभा के कार्यालय में दूरभाष अथवा ई-मेल द्वारा सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लें।
पता- परोपकारिणी सभा, दयानन्द आश्रम, केसरगंज, अजमेर- 305001 (रविवार अवकाश), दूरभाष - 0145 - 2460164
प्रतिवर्ष गर्मियों की छुट्टियों में ही युवक एवं युवतयों के लिए अलग-अलग दो आवासीय शिविरों का आयोजन किया जाता है। यह शिविर आर्यवीर दल, अजमेर एवं परोपकारिणी सभा के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित होते हैं। इन शिविरों में छात्र- छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए जुडो-कराटे, लाठी, भाला, तलवार, व्यायाम, आसन-प्राणायाम आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। युवकों को दंड-बैठक भी सिखाया जाता है। शिविर की दिनचर्या प्रातः ४:०० बजे से शुरू होकर रात्रि ९:३० बजे तक चलती है। सुबह शाम व्यायाम प्रशिक्षण के साथ-साथ सैनिक शिक्षा का भी अभ्यास कराया जाता है। दिन भर में योग्य विद्वानों के मार्गदर्शन में चरित्र निर्माण, व्यवहार, आचरण, नैतिकता, देशभक्ति एवं महापुरुषों के जीवन की प्रेरक घटनाओं द्वारा श्रेष्ठ मनुष्य बनने की प्रेरणा दी जाती है, साथ ही संगीत आदि के माध्यम से मनोरंजन के लिए भी पर्याप्त समय दिया जाता है। अंतिम दिन बालकों के माता-पिता अभिभावकों की उपस्थिति में व्यायाम प्रदर्शन के साथ शिविर का समापन किया जाता है।