परोपकारिणी सभा द्वारा ऋषि उद्यान के परिसर में वानप्रस्थियों एवं संन्यासियों के लिए एक अलग भवन का निर्माण किया गया है। यह भवन स्वामी ओमानन्द सरस्वती भवन के नाम से जाना जाता है। इस भवन में १६ कमरे हैं, प्रत्येक कमरे में रसोई, शौचालय-स्नानागार भी हैं। ऋषि उद्यान में निवास कर रहे वानप्रस्थियों एवं संन्यासियों को आवास, भोजन एवं चिकित्सा की समुचित निःशुल्क व्यवस्था दी जाती है ताकि वे तन्मयता से एवं निर्विघ्न अपनी साधना कर सकें। साधना में उन्नति के लिए ऋषि उद्यान की यज्ञशाला में प्रतिदिन यज्ञ के पश्चात् योग्य विद्वानों द्वारा आध्यात्मिक चर्चा की जाती है। ऋषि उद्यान का समस्त वातावरण अध्यात्म के अनुकूल है।
महर्षि दयानन्द सरस्वती ने परोपकारिणी सभा को अपना उत्तराधिकार सौंपते हुए अपनी सभी पुस्तकें भी सभा के अधिकार में दे दीं थी, इनमेँ स्वामी जी के हस्तलेख, दुर्लभ पुस्तकें, महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ भी थे। सभा ने इन सभी दस्तावेज़ों को सुरक्षित करने के लिए उनका पाटलीकरण करवाया। वर्त्तमान आधुनिक तकनीक से उन्हें सुरक्षित करने के लिए सभी दस्तावेज़ों का डिजिटलाइजेशन करने विचार किया गया। इस कार्य को गम्भीरता से लेते हुए सभा ने तीव्र गति से कार्य करना प्रारम्भ कर दिया, जिसके परिणाम स्वरूप अब तक लाखों पृष्ठों की स्कैनिंग करके उन्हें डिजिटल रूप में सुरक्षित कर दिया गया है। इस अब तक कई लाख व्यय हो चुकें हैं एवं आगे भी होंगे। ऋषि दयानन्द से सम्बन्धित समस्त दस्तावेज़ आने वाली पीढ़ियों को सहज उपलब्ध हो सकें दृष्टि सभा इस महनीय कार्य को निरंतर कर रही है। यह कार्य और अधिक विस्तार से किया जा सके, इसके लिए आर्यजनों सहयोग अपेक्षित है। हम सभी स्वसामर्थ्यनुसार अपना-अपना सहयोग देकर इस यज्ञ में आहुति प्रदान करें।